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युद्ध के बीच भारत और चीन को अमेरिका की चेतावनी, पुतिन का साथ छोड़ें नहीं तो जिम्मेदार खुद होंगे

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द फॉलोअप डेस्क 
अमेरिका के प्रभावशाली रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने रूस-यूक्रेन युद्ध और गाज़ा संकट को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है और भारत व चीन को खुली चेतावनी दी है। अपने आधिकारिक ट्विटर (अब एक्स) हैंडल से जारी एक बयान में ग्राहम ने कहा कि यदि भारत और चीन रूस के युद्ध प्रयासों को समर्थन देना जारी रखते हैं, तो वे इसके नतीजों के लिए खुद ज़िम्मेदार होंगे।

उन्होंने ट्वीट किया: "पुतिन का रूस अगर बल प्रयोग पर कानूनी सलाह दे रहा है तो यह बात खुद रूसियों के लिए भी बहुत ज़्यादा है। इज़राइल अपने अस्तित्व की रक्षा कर रहा है, जबकि रूस अपने पड़ोसी पर बर्बर हमला कर रहा है। चीन और भारत से कहना चाहता हूँ: अगर आपने पुतिन के युद्ध अभियान को समर्थन देना जारी रखा, तो इसके लिए आप किसी और को दोष नहीं दे पाएंगे।"

अमेरिका की बढ़ती सख़्ती
ग्राहम की टिप्पणी केवल व्यक्तिगत राय नहीं है — यह अमेरिका की एक उभरती रणनीतिक धारा का संकेत है, जो रूस को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश कर रही है। हाल ही में ग्राहम और अन्य अमेरिकी सांसदों ने 'Sanctioning Supporters of Russia Act' नामक एक प्रस्ताव रखा है, जिसमें उन देशों पर कठोर प्रतिबंध लगाने की बात है जो रूस के साथ आर्थिक या तकनीकी सहयोग कर रहे हैं।

इस प्रस्ताव के तहत:

रूस को तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ (500% तक) लगाने का प्रावधान है

रूस को हथियार, तकनीक या वैकल्पिक भुगतान प्रणाली देने वालों पर सीधा प्रतिबंध लगाया जाएगा

अमेरिका और यूरोपीय देशों को मिलकर वैश्विक दबाव बनाने की सिफारिश की गई है

भारत-चीन की भूमिका पर सवाल
भारत और चीन दोनों ही रूस के साथ अपने रिश्ते बनाए हुए हैं। भारत ने रूस से तेल की खरीद बढ़ाई है और सार्वजनिक रूप से रूस की आलोचना से परहेज़ किया है। चीन ने भी रूस को कूटनीतिक और आर्थिक मंचों पर समर्थन दिया है, और पश्चिमी प्रतिबंधों को खुलकर चुनौती दी है। ग्राहम की टिप्पणी इसी पृष्ठभूमि में आई है। उनका मानना है कि अब यह स्पष्ट है कि कौन पक्ष में है और कौन तटस्थ नहीं रह सकता।

इज़राइल बनाम रूस: नैतिक तुलना
ग्राहम ने अपने ट्वीट में इज़राइल और रूस की तुलना करते हुए कहा कि इज़राइल अपने अस्तित्व की रक्षा कर रहा है, जबकि रूस अपने पड़ोसी देश पर बर्बर हमले कर रहा है। यह टिप्पणी खासतौर पर उन आलोचकों को जवाब देने के रूप में देखी जा रही है जो गाज़ा में इज़राइली कार्रवाई और रूस-यूक्रेन युद्ध को समान बताते हैं।

भारत की चुप्पी
अब तक भारत सरकार की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत पहले भी कहता रहा है कि वह शांति और संवाद का पक्षधर है, और उसने संयुक्त राष्ट्र सहित कई मंचों पर युद्ध विराम की अपील की है। लेकिन पश्चिमी देशों की आलोचना यह रही है कि भारत रूस को पर्याप्त आर्थिक सहारा देता रहा है। लिंडसे ग्राहम का यह बयान केवल एक ट्विटर प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि अमेरिका की रणनीतिक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। भारत और चीन जैसे देशों के लिए यह संकेत है कि यदि वे रूस के साथ व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी जारी रखते हैं, तो उन्हें भविष्य में पश्चिमी देशों के दबाव और संभावित प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।


 

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